Gulzar Poetry :
30. लैंडस्केप-1
दूर सुनसान-से साहिल के क़रीब
एक जवाँ पेड़ के पास
उम्र के दर्द लिए वक़्त मटियाला दोशाला ओढ़े
बूढ़ा-सा पाम का इक पेड़, खड़ा है कब से
सैकड़ों सालों की तन्हाई के बद
झुक के कहता है जवाँ पेड़ से… ’यार!
तन्हाई है! कुछ बात करो!’
विद्यालय की प्राथना याद दिला दी।