Gulzar Poetry

Gulzar Poetry :

18. चौदहवीं रात के इस चाँद तले

चौदहवीं रात के इस चाँद तले
सुरमई रात में साहिल के क़रीब
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब
बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी

दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
चौदहवीं रात के इस चाँद तले!

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