गैर से यूँ मिलना तेरा, कतई नहीं है गवारा मुझे…
मैं नहीं चाहता कोई तेरे बदन की ताक-झांक करे!
शहर-भर में फूल की चादर बिछाना है मुझे….
अपने शहज़ादी को काँटों पर चला नहीं सकता हुँ!

तुम ‘शराफ़त’ को इश्क़ के बाज़ार में क्यूँ ले आये हो दोस्तों…
ये नोटों की दुनिया है यहाँ ‘सिक्का’ तो बरसों से नहीं चलता!
जख्म खरीद लाया हूँ इश्क के बाजार से…
दिल जिद कर रहा था… मुझे “मोहब्बत” चाहिये!
एक बात पूछें तुमसे… जरा दिल पर हाथ रखकर फरमायें…
जो इश्क़ हमसे सीखा था अब वो किससे करते हो!
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i like you shayaries