क्यों करूँ फिक्र कि मौत के बाद जगह कहाँ मिलेगी…
जहाँ होगी महफिल मेरे यारों की वहीं मेरी रूह वहाँ मिलेगी…
दोस्ती के मायने कभी खुदा से कम नहीं होते…
अगर खुदा करिश्मा है तो…
दोस्त भी जन्नत से कम नहीं होते हैं…
तेरी दोस्ती ने दिया सूकुन इतना…
की तेरे बाद कोई अच्छा न लगे…
तुझे करनी है बेवफाई तो इस अदा से कर…
कि तेरे बाद कोई भी बेवफा न लगे…
किस्मत वालों को ही मिलती है पनाह दोस्तों के दिल में…
यूँ ही हर शख्स जन्नत का हकदार नहीं होता है…
तु कितनी भी खुबसुरत क्यों ना हो ऐ जिन्दगी…
खुशमिजाज दोस्तों के बगैर तु अच्छी नहीं लगती…
मैंने भूल शायद बहुत बड़ी कर ली…
मेरे दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली…
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