जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता है…
कोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता है…
मुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी खौफ उसका नहीं जाता…
कहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता हैl
सुकून मिल गया मुझको “बदनाम” होकर…
आपके हर एक “इल्ज़ाम” पे यूँ “बेजुबान” होकर…
लोग “पढ़” ही लेंगें आपकी आँखों में मेरी “मोहब्बत”…
चाहे कर दो “इनकार” यूँ ही “अनजान” होकर!
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है…
जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है…
मैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहीं…
मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है!
मै कतरा कतरा फना हुआ…ज़र्रा ज़र्रा बीखर गया…
ऐ ज़िदंगी …
तुझसे मिलते-मिलते…मै अपने आप से बिछड़ गया!
Pingback: 500+ बेहतरीन रोमांटिक शायरियाँ : Latest Romantic Shayari - My Quotes
i like you shayaries