October Junction

हिंदी में बेस्ट सेलर की परंपरा को स्थापित करवाने में जिन युवा लेखकों का नाम शामिल है, उसमें दिव्य प्रकाश दुबे शुमार हैं. उनका जन्म 8 मई, 1982 को लखनऊ में हुआ. रुड़की के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से पढ़ाई करने वाले इंजीनियर साहब को शब्दों का चस्का ऐसा लगा कि ‘मसाला चाय’ और ‘शर्तें लागू’ जैसी पुस्तकें लिख डालीं. अपनी इन पुस्तकों से युवाओं में अच्छाखासा पैठ बना लेने के बावजूद बहुत समय तक  यही माना जाता था कि दिव्य प्रकाश दुबे ठीक-ठाक कहानियाँ लिख लेते हैं. लेकिन बाद में जब वे ‘स्टोरीबाज़ी’ में कहानियाँ सुनाने लगे तो लगा, कि नहीं उनकी कहानियां तो कुछ ज्यादा ही अच्छी हैं.

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October Junction By DPD

TEDx में बोलने गए तो टशन-टशन में हिंदी में बोलकर चले आए. इनकी संडे वाली चिट्ठी भी बहुत पॉपुलर है. तमाम लिटेरचर फेस्टिवल्स, इंजीनियरिंग एवं MBA कॉलेज जाते हैं, तो अपनी कहानी सुनाते-सुनाते एक-दो लोगों को लेखक बनने की बीमारी दे आते हैं, पढ़ाई-लिखाई से ठीकठा थे इसलिए B.Tech-MBA की डिग्री बटोर ली. साल 2017 में MBA से मिली अच्छी पगार वाली नौकरी को अलविदा कह चुके हैं. साल 2016 में छपे अपने उपन्यास ‘मुसाफिर Cafe’ की बंपर सफलता के बाद दिव्य प्रकाश ‘नई वाली हिंदी’ के पोस्टर-बॉय की तरह देखे जाने लगे हैं.

अक्टूबर जंक्शन’ उनका चौथा उपन्यास है. चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में ‍10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे. एक साल में एक बार, बस. अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं.

एक तरफ सुदीप है जिसने क्लास 12th के बाद पढ़ाई और घर दोनों छोड़ दिया था और मिलियनेयर बन गया. वहीं दूसरी तरफ चित्रा है, जो अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत आजकल हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है. बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है. हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है. उसके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में तब तक बहस होती रहती है जब तक कि उसका अगला आर्टिकल नहीं छप जाता. लेखक का दावा है कि हर व्यक्ति की दो जिंदगियाँ होती हैं. एक जो हम हर दिन जीते हैं. दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं, अक्टूबर जंक्शन उस दूसरी ज़िंदगी की कहानी है. ‘अक्टूबर जंक्शन’ चित्रा और सुदीप नामक पात्रों की उसी दूसरी ज़िंदगी की कहानी है.

तो TwoLineQuotes पर पढ़िए दिव्य प्रकाश दुबे के जन्मदिन पर उनके प्रकाशित उपन्यास ‘अक्टूबर जंक्शन

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