“आजकल तुम सब्जी सही नहीं बनाती हो। कभी नमक तेज ,तो कभी मिर्च ।ये रोज रोज लौकी ,टिंडे! कोई और सब्जी नहीं मिलती क्या ?”
विपक्ष के नेता जैसे पति ने मीन मेख निकालते हुए कहा।यहाँ स्पष्ट कर दिया जाए कि यह पति बहुतों का प्रतिनिधित्व करता है ।यह विपक्ष का नेता भी है ,पत्नी पीड़ित वर्ग से भी है ।सबसे बड़ी और अहम बात –यह लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण पर सबसे अधिक हाशिये पर खड़ी जनता का भी प्रतिनिधि है।
अब विपक्ष का नेता जैसा है तो नुक्स निकालना उसका लोकतांत्रिक व मौलिक अधिकार है । तारीफ करने से उसकी विपक्षीयत खतरे में आ जायेगी ।वैसे ही जैसे बिल्ली के छींकने से भी इस देश में बहुत कुछ खतरे में आ जाता है ।
Motivational Stories in Hindi
हाँ तो बात चल रही थी -विपक्ष रूपी पति की ।अब उन्होनें अपना कर्तव्य पूरा करते हुए निंदा प्रस्ताव पेश कर दिया।
बारी थी सत्ता पक्ष यानी पत्नी जी की । यहाँ एक सवाल खड़ा हो सकता है कि पति के साथ ‘जी’ नहीं लगाया,पत्नी के साथ क्यों लगाया? तो सुनिए साहब ! पत्नी के पास सत्ता है।साथ ही वो स्त्री हैं।एक तो सत्ता को सलाम ठोकना परम्परा है।दूसरा नारीवादी चुप रहें इसलिए जी का प्रयोग किया ।आजकल नारीवाद का झंडा बहुत बुलन्द है।कब,कहाँ ,किस सबसे तेज चैनल पर आप नारीविरोधी घोषित हो जाएं क्या पता ? तो जी लगाइए सुरक्षित रहिये ।
चलिए सब्जी पर आते हैं।पति द्वारा पेश निंदा प्रस्ताव पर पत्नी ने आँखें तरेरी।
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” बचपन से माँ के हाथ की बेकार सब्जी खा रहे थे।इसलिए मेरी सब्जी अच्छी कैसे लगेगी।अब पुराना सब कुछ बदला जाएगा। यह सब्जी पुराने ढंग का नया विकास है।”
ये प्रहार कुछ वैसा ही था जैसा इस देश में नए सत्ताधारी दल के समर्थक व नेता कहते हैं :”पुराने दल के 70 साल के राज में सब बेकार था ! अब हम नए परिवर्तन व विकास करेंगें !” पति ने मुद्दा फेंका: “अपनी सब्जी व माँ की सब्जी आमने सामने रख कर तुलना कर लो। ऐसा करो अपनी सहेलियों को चखा कर देख लो, फ़र्क़ पता चल जाएगा ।”
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पत्नी पूरी आक्रामक मुद्रा में थी। “मेरी सहेलियां पेड मीडिया हैं।कभी मेरे विरुद्ध न जायेंगीं।”
फिर पत्नी थोड़ा मुस्कुराई :” तुम्हारी माँ की सत्ता खत्म हो चुकी है।उसे हम मार्गदर्शक मंडल में भेज चुके हैं।”
“हाँ,तुम्हारे पिताजी अभी स्टैंडिंग कमेटी में है।उनके सामने मामला रखा जा सकता है।”
पति के तेवर भी गर्म थे:” पहले लोकसभा यानी बच्चों के सामने मामला रखो।”
बच्चे आये चुपचाप मम्मी के पक्ष में वोट देकर वॉक आउट हो गए ।
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” ये क्या बच्चों को साथ मिला लिया?” पति चिल्लाया।
” चिल्लाओ मत! मेरा बहुमत है। मुझे गठबंधन करना आता है। मामला स्टैंडिंग कमेटी में भेजना है क्या ?”
” नहीं भेजना !वहाँ मेरे पिताजी अकेले है। तुम्हारा भाई और बहन ,जो हमारे साथ रहते हैं ! उस कमेटी में उनका मत भी गिनोगी !”
” वो तो होगा ही ।” पत्नी मुस्कुराई ।
” मेरा मामला तो राज्यसभा में भी न जा सकता । “
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“ले जाना चाहो तो ले जाओ ।पर सोच लो अपना मुहल्ला राज्यसभा है और वहाँ भी तुम अल्पमत हो ।”
” ठीक है , जो परोसोगी चुपचाप खा लूंगा ।
” मैं तो जनता सरीखा हूँ ।जब मेरी तनख्वाह रूपी वोट चाहिए होते हैं तो वादों में 56 भोग दिखाए जाते हैं!”
” बाद में जो परोसा जाता है वही जनता की नियति होती है !”
पत्नी मुस्कुराई फिर सत्ताधारी वाली अदाएं छोड़ते हुए बोली:
“मेरी प्यारी जनता रूपी पति मेरे प्राण तो तुम्हीं हो।हाँ ये ओर बात है कि इन प्राणों के लिए जरूरी ऑक्सीजन हम सत्ताधारियों के पास होती है!”
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