Electoral Bond

चुनावी बॉन्ड क्या है (What is an Electoral Bond)

 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस (Electoral Bond)असंवैधानिक घोषित किए जाने से चुनाव फंडिंग पर क्या असर पड़ेगा ?

 

इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) अर्थात चुनावी बांड किसी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा गुप्त रूप से किसी पंजीकृत राजनीतिक पार्टी को दिया गया दान अथवा आर्थिक सहायता है ।

The “election bond” is a financial instrument that is used to make anonymous donations or financial contributions to a registered political party by an individual or organization.

Electoral Bonds


इसे वित्त विधेयक के रूप में लोकसभा में वर्ष 2017 में लाया गया तथा 2018 से इसे लागू किया गया।
चुनावी बांड जारी करने का अधिकार भारतीय स्टेट बैंक को है जो 1हज़ार, 10 हज़ार, 1 लाख, 10 लाख तथा एक करोड रुपए के बांड जारी करता है। इन चुनावी बांड को व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा डिजिटल अथवा चेक के माध्यम से खरीदा जाता है।
इन चुनावी बांड का नकदीकरण राजनीतिक पार्टी के बैंक खाता द्वारा किया जाता है। क्योंकि चुनाव आयोग राजनीतिक पार्टी के खातों की निगरानी रखता है, व राजनीतिक पार्टी भी बैंक खाते का विवरण चुनाव आयोग के साथ साझा करती है ,इसलिए पारदर्शिता बनाए रखने में यह तंत्र सुविधा प्रदान करता है।

वित्त आयोग द्वारा संसद के सामने रखे गए आंकड़ों के अनुसार 2018 से 2024 तक 16,518 करोड रुपए के बॉन्ड खरीदे गए हैं। जिनमें से अधिकतम चुनावी बॉन्ड सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मिले हैं। 

 

चुनावी बांड को असंवैधानिक घोषित किए जाने के पीछे सुप्रीम कोर्ट कोर्ट द्वारा दिए गए तर्क 

 

2018 में चुनावी बांड विधेयक लागू करने के साथ ही यह विवाद का विषय रहा। ADR (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) कॉमन कॉस (सीसी) और कम्युनिस्ट पार्टी- सी द्वारा इस विधेयक के विपक्ष में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड को असंवैधानिक घोषित किया इसके पीछे निम्न तर्क दिए गए-
1. चुनावी बांड जिस उद्देश्य के लिए लाया गया था अर्थात पारदर्शिता स्थापित करने में असफल हुआ व इसका उपयोग मनी लांड्रिंग के लिए किया जाने लगा।
2. इस विधेयक के माध्यम से पार्टी को बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त धन राशि व उसके उपयोग का ब्यौरा देने से स्वतंत्र किया गया था। जो किसी मतदाता के सूचना के अधिकार ,अभिव्यक्ति के अधिकार पर प्रहार करता है।
3. अधिक मात्रा में कॉरपोरेट फंडिंग मिलने से क्रॉनि कैपिटलिजम की समस्या उत्पन्न होने लगी।
4. यह प्रक्रिया quid- pro – quo को प्रोत्साहित करता है जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।

 

चुनावी बॉन्ड के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है :

 

  1. नियमन: चुनावी बॉन्ड (Electoral Bond)की खरीद में कुछ नियम होते हैं, जैसे कि एक व्यक्ति एक समय में कितने बॉन्ड खरीद सकता है, उनका मूल्य, और ऐसे नियम जो सुनिश्चित करते हैं कि ये वित्त पार्टी को सीधे ही पहुंचता है।
  2. अनोखे नंबर: ये बॉन्ड (Electoral Bond)एक अद्वितीय पहचान संख्या के रूप में आते हैं ताकि उनके माध्यम से किए गए दानों का ट्रैकिंग किया जा सके।
  3. निजी: इन बॉन्ड(Electoral Bond) का खुलासा नहीं होता है, जिससे व्यक्ति किसी भी राजनीतिक पार्टी को वित्तीय समर्थन प्रदान कर सकता है लेकिन उसकी पहचान समझ में नहीं आती।
  4. डार्क मनी का समर्थन: ये बॉन्ड (Electoral Bond)उन व्यक्तियों और व्यापारिक संस्थाओं के लिए एक तरह का सुरक्षित और गुप्त तरीका प्रदान करते हैं जो अपने वित्तीय समर्थन को गुप्त रखना चाहते हैं।
  5. संरक्षा: चुनावी बॉन्ड(Electoral Bond) की खरीद करने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, इनका उपयोग अपने स्थानीय पार्टी को समर्थन देने में किया जा सकता है।

Some important points about Electoral Bonds can be understood as follows :

 

  1. Regulations: There are some rules involved in the purchase of Electoral Bonds, such as how many bonds a person can buy at a time, their value, and such regulations that ensure that this financial support reaches the party directly.
  2. Unique Numbers: These bonds come with a unique identification number so that the donations made through them can be tracked.
  3. Confidentiality: The details of these bonds are not disclosed, so a person can provide financial support to any political party but their identity remains undisclosed.
  4. Support for Dark Money: These bonds provide a secure and confidential way for individuals and corporate entities who want to keep their financial support hidden.
  5. Protection: Keeping in mind the personal and financial security of the buyer, Electoral Bonds can be used to support their local party without revealing their personal and financial information.
Role of Supreme Court  

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड को असवैधानिक घोषित करने के साथ ही स्टेट बैंक आफ इंडिया तथा चुनाव आयोग को कुछ दिशा निर्देश भी जारी किए हैं। जिनमें 2019 से 6 मार्च 2024 तक चुनावी बांड के विवरण को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

चुनाव फंडिंग पर असर-
2018 के बाद से ही चुनावी बांड एक विवादित मुद्दा रहा है। चुनावी बांड के माध्यम से व्यक्ति तथा संस्थाएं राजनीतिक पार्टियों को गुप्त तरीके से आर्थिक दान देती थी, जिसका उपयोग राजनीतिक पार्टी द्वारा अपने विचारधारा को वृहद स्तर तक फैलाने में किया जाता था। अब क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस ए संवैधानिक घोषित कर दिया गया है, जिससे राजनीतिक पार्टी की फंडिंग प्रभावित होगी।
आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों के अनुसार चुनावी फंडिंग पर इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि चुनावी बांड एक डिजिटल तंत्र था जबकि राजनीतिक पार्टी को कैश के माध्यम से सर्वाधिक अनुदान दिया जाता है।

चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है ,और भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। निष्पक्ष और सुचारू रूप से चुनाव प्रक्रिया संपन्न करने के लिए संविधान में चुनाव आयोग का प्रावधान किया गया है। इसलिए चुनाव में पारदर्शिता लाने के लिए आवश्यकता इस बात की है कि –
चुनाव आयोग आयुक्तों की शक्ति में वृद्धि की जाए।
चुनावी खर्च की सीमा का सख्ती से पालन किया जाए।
आदर्श चुनाव संहिता का पालन किया जाए।

Article written By  : Gullak Sharma

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